
बच्चों के पोषण स्तर में सुधार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत
अररिया, रंजीत ठाकुर : अररिया टीबी एक गंभीर संक्रामक रोग है। यह मुख्य रूप से हमारे फेफड़ों को प्रभावित करता है। लेकिन टीबी के बैक्टीरिया हमारे शरीर में नाखून व बाल को छोड़ कर शेष सभी अंगों को प्रभावित कर सकता है। हालांकि यह रोग किसी भी उम्र के लोगों को अपनी चपेट में ले सकता है। लेकिन कुपोषित बच्चे इस बीमारी के प्रति अधिक संवेदनशील माने जाते हैं। गरीबी व अशिक्षा सहित अन्य कारण जिले में कम उम्र के बच्चों के लिये दोहरी चुनौती पेश करता है। कुपोषित बच्चों में रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है। इस कारण उनका शरीर टीबी के बैक्टीरिया का सामना नहीं कर पाते हैं। ऐसे बच्चे आसानी से रोग का शिकार बनते हैं।
टीबी पीड़ित पांच में एक बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित
जिला टीबी समन्वयक दामोदर शर्मा ने डब्ल्यूएचओ के एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि टीबी व कुपोषण दोनों ही बच्चों के मृत्यु दर में वृद्धि के प्रमुख कारणों में से एक है। उन्होंने बताया कि टीबी पीड़ित हर पांच में से एक बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित पाया जाता है। इसलिये कुपोषण बच्चों में टीबी संक्रमण के प्रमुख कारणों में से एक है। इसलिये बच्चों के पोषण स्तर में सुधार पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। ताकि बच्चों का रोग प्रतिरोधात्मक क्षमता मजबूत बना रहे। इससे टीबी संक्रमण के खतरों से बच्चों को बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि लगातार दो सप्ताह तक खांसी होना, बुखार खास कर शाम के समय, वजन में गिरावट, भूख की कमी, बार-बार बीमार होना बच्चों में टीबी संक्रमण के लक्षण हो सकते हैं।
कुपोषण की वजह से कमजोर होता है बच्चों का प्रतिरक्षा तंत्र
जिला यक्ष्मा नियंत्रण पदाधिकारी डॉ मोईज ने बताया कि कुपोषण का सीधा असर बच्चों के इम्यून सिस्टम यानी रोग प्रतिरोधक क्षमता पर पड़ता है। जब शरीर को पर्याप्त पोषण नहीं मिलता है। तो जरूरी विटामीन, खनिज, प्रोटीन के कमी की वजह से बच्चों का शरीर विभिन्न प्रकार के बैक्टीरिया व वायरस के संक्रमण से लड़ने की क्षमता सीमित हो जाती है। ऐसे में अगर बच्चे टीबी संक्रमित किसी मरीज के संपर्क में आते हैं। तो यह रोग उन्हें अपना आसान शिकार बना लेता है। बच्चों को संतुलित आहार देना, विशेषकर प्रोटीन, आयरन, विटामिन ए व डी, जिंक युक्त भोजन का सेवन बच्चों के पोषण स्तर में सुधार के लिये जरूरी है। हाई रिस्क इलाके में कुपोषित बच्चों के सेहत की नियमित जांच व टीबी की पुष्टि होने पर तुरंत इलाज व दवा का कोर्स पूरा करना उन्होंने जरूरी बताया।
दोहरी चुनौतियों से बच्चों के बचाव के लिये जागरूकता जरूरी
सिविल सर्जन डॉ केके कश्यप ने कहा कि टीबी व कुपोषण दोनों गंभीर जन स्वास्थ्य समस्याएं हैं। दोनों समस्या एक साथ होने पर यह बच्चों के लिये जानलेवा साबित हो सकती है। ऐसे में जरूरी है कि हम बच्चों में कुपोषण संबंधी मामलों के प्रति अधिक सतर्क रहें। इससे हम टीबी के संभावित खतरों को भी मात दे सकते हैं। हमें जागरूक होकर बच्चों को इस दोहरी चुनौती से बचाने के लिये कारगर प्रयास करने होंगे।